तिरे वादे पर जिए हम #ThePromise #MirzaGhalib #PromiseDay #AnUnfulfilledOne

ग़ालिब इलाहाबाद से बनारस पहुंचे हैं, और शहर उन्हें भा गया है। एक दिन रास्ते में उनकी अचानक मुलाकात होती है नवाबजान की मां से। ग़ालिब को याद है, नवाबजान से किया हुआ एक पुराना वादा कि शोहरत मिलने पर नवाबजान के घर जाकर एक दुशाला भेंट करेंगे

नवाब के जीते जी तो कर ना पाए, अब मज़ार पर खड़े हैं दुशाला लेकर

जान दी दी हुई उसी की थी
हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ


चित्रा सिंह के स्वरों में नवाब जान की रूह बस गई हो जैसे

तेरे वादे पर जिए हम तो यह जान झूट जाना
के खुशी से मर ना जाते अगर एतबार होता

Gulzar sb also paid tribute to the Promise with a light hearted taunt “कोई तेरे वादों पर जीता है कहां” (थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमां – सितारा)